बात 1984 की है जब अब्दुल मबुन्दु नाम का एक आदमी लन्दन हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच के लिए
गया।वहां ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी सम्बंधित काग़जात पर उस आदमी का जन्म वर्ष 1832 देखकर दंग
रह गया। मतलब यह है कि जो आदमी उसके सामने खड़ा था वह 162 साल का था उसने उन कागजात को बार
बार जांचा लेकिन उसमें कोई भी विसंगति ही नहीं थी यह आदमी हुंजा घाटी का रहने वाला था जो सूर्य के
प्रकाश से भरी एक संकरी घाटी है और बर्फ से आच्छादित हिमालय की चोटियों से घिरी रहती है
__________________________________________________
Read Also : Johnson tells UN it is time for humanity to ‘grow up’ on climate change
__________________________________________________
कहा जाता है कि यहां पर सबसे स्वस्थ और प्रसन्न (अधिकांशत: 100 साल जीने वाले) लोग रहते हैं जो कानून
तौर पर पाकिस्तान के घटक एक छोटे से अर्ध स्वतंत्र राज्य हुंजा की प्रजा है हुन्जाकुटियो के असाधारण सवस्थ
के लिए बहुत कुछ लिखा गया है वहां व्हावारिक तौर पर देखा जाय तो पौधों और पशुओं को कोई रोग नहीं
होता, और न ही मनुष्यों को। कैंसर , हृदय अथवा आंतो को पूरी तरह से कोई समस्या नहीं होती और लोग
नियमित रूप से 100 साल जीते हैं।घाव तेज गति से भर जाते हैं और यदि उस पर स्थानीय मिट्टी रगड
दी जाए तो कभी-कभार ही संक्रमित होते हैं। कारण यह है कि यह मिटटी खनिज पदार्थों से भरपूर है जो जैसे-
तैसे रुधिर दूषित घावों से मुक्त कर देती है| अक्सर दूर से लाई गयी और सीढ़ीनुमा खेतो के संक्रमण रिबंस में डाली हुई हुंजा मिटटी का हर एक कतरा बड़ी नाजुक देखभाल के साथ हाथों से तैयार किया जाता है| यह
आसपास के पहाड़ो से लायी गयी कच्ची मिटटी बिना गादा और कीचड़ के पत्थरो से बनाई गयी है | गादयुक्त
ग्लेश्यिर से सींची जाने वाली इस भूमि को जैविक खाद के प्रयोग से उर्वरक बना दिया है और यही गुंजा
स्वास्थ्य का रहस्य है|
__________________________________________________
Read Also : Climate change: governments’ pledges put planet on ‘catastrophic pathway,’ warns UN
__________________________________________________
आज हमारी पृथ्वी ऐसे लोगो से ग्रसित हो गई है कि इसका इलाज मुमकिन नहीं लगता डॉक्टर अलेक्सिस
कररेल(नोबेल पुरस्कार विजेता ) ने कहा है कि कोई भी प्राणी, यहाँ तक के सूअर भी, अपने रहने की जगह को
नहीं छोड़ता जैसे मानव-जाती दुष्टतापूर्ण तरीके से मनगढ़ंत रसायनो और घातक विषाक्त अपशिष्टों से अपने
रहने के स्थान को जहरीला बना रहे है | उन्होंने यह भी कहा कि मानव जीवन समेत सभी प्रकार के जीवन के
लिए मिट्टी आधार है स्वास्थ विश्व के लिए हमारी उम्मीद का बस यही आधार है कि हमने जिस मिट्टी को
कृषि-विज्ञान के आदुनिक तरीको से निहयात विघटित कर दिया है उसके साथ पुनः सामंजस्य स्थापित करे
|खाद (जैविक खाद) से पर्याप्त रूप से पोषित मिटटी कभी रोग-ग्रस्त नहीं होती परजीवियों को दूर भगाने के
लिए इसमें जहरीले छिड़काव की भी आवस्यकता नहीं होती। इन पौधो को भी खाने वाले पशुओ में भी उच्च
स्तर की रोग-प्रतिरोधारक क्षमता आ जाती है ऐसे पौधों से पोषित मनुष्य भी असाधरण स्तर के स्वास्थ्य की
प्राप्ति करते है | जैविक खाद से पैदा होने वाली फसल मैं संक्रमण का प्रतिरोध करने की प्राकर्तिक शक्ति होती है
और उस शक्ति को क्रियाशील करने के लिए उसी समुचित सम्पोषण की आवश्कता होती है| नाइट्रोजन चक्र मैं
कृत्रिम/रसायनिक कृत्रिम/रासायनिक खादों,जैसे अमोनिया सल्फेट, को जिस समय हम विकल्प के तौर पर
प्रयोग में लेते है वही से परेशानी आरम्भ हो जाती है | रहा रूकती नहीं बल्कि किसी बीमारी के प्रकोप के साथ
ही ख़तम हो जाती है|
__________________________________________________
Read Also : Nuclear tests in 1960s may have contributed to climate change
__________________________________________________
रासायनिक खादे ने केवल पैसे का अपव्यय है बल्कि सभी आधुनिक बीमारियों की जन्मदाता है | मात्र जैविक
पदार्थो को बनाये रखना इस बात के लिए पर्याप्त है कि हम रोगाणुओ को पपर्याप्त मात्रा में विश्व के पौषण के
लिए पौषक तत्व प्रदान करते है| जैविक पदार्थो को मिटटी का संघटन कहा जा सकता है| कीड़ो और बीमारियां
ख़राब होने वाली फसल के लक्षण है मृतप्राय कृषि में जहरीला छिड़काव एक हताशा का कार्य है खरपतवार
मिटटी के चरित्र की सूचि है | जब कीटनाशक दवाइयाँ वन क्षेत्रों में प्रयोग की जाती है तो उसका लगभग 25%
पेड़ो की पत्तियों की, लगभग 1% कीड़ो को मारने में और 30% मिटटी में जाता है| उसका बचा हुआ भाग
वातावरण में। मिटटी की सतह पर अथवा भूमिगत जल में चला जाता है | मिटटी से पौधों को आवश्यक रूप से
14 तत्व प्राप्त होते है और सभी तत्व मनुष्य के स्वास्थ के लिए आवश्यक है मनुष्यो के शरीर के अणुओं का
99.9% हाइड्रोजन, ऑक्शीजन, मैग्नेशियम,कार्बन, नाइट्रोजन,सोडियम ,फास्फोरस,सल्फर और क्लोरीन से
निर्मित है| हाइड्रोजन, ऑक्शीजन,कार्बन को छोड़ कर शेष सभी का स्रोत्र मिटटी है| फिर भी शेष तत्वों में लगभग
अठारह अतिरिक्त तत्व है जी सूक्षम पोषक तत्व और सूक्षम सत्व (ज़िंक, लोहा, मैग्नीज ,ताम्बा आदि )के रूप
में जाने जाता है| इसलिए मानव स्वास्थ्य समेत समूचे पारिस्थितिकी तंत्र(इकोसिस्टम) को सुधारने के लिए
मनुष्य और मिटटी के बीच गहरा सम्बन्ध,बेहतर व्यवहार और हमारी मिट्टी का प्रबंधन निश्चित तौर पर मददगार होगा | इसके लिए लोगो का मिटटी,खेत, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के प्रति अधिक संवेदनशील,
चैतन्य,जागरूक और शिक्षित होना ही समस्या का समाधान है |
Tags: #getgreen, #gngagritech, #greenstories, #health, #healthy, #plant, #soil, #trees